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वो दोस्त वो यार थे अपने,हम थे जैसे अपने देश के राजा,ऐ बचपन एक बार लौट के आजा।वो बेफिक्री वो शरारतें , वो ख़ुशी वो बातें,वो पल बहुत याद आता,ऐ बचपन तू एक बार फिर लौट के आजा।वो barishon की मस्ती , वो कागज़ की कश्ती,वो सुकून के पल लौटा जा,ऐ बचपन तू एक बार लौट के आजा ।जब तन्हाई छु भी नहीं पाती थी,जब खुशियाँ दिन और राती थी,वो हसीं पल फिर से दोहोरा जा,ऐ बचपन तू फिर लौट के आजा।जब ज़िन्दगी एक खुला मैदान थी,जब दोस्तों में बसी अपनी जान थी,जब शरारतें करना मेरी पहचान थी,वो हर पल मुझे लौटा जा,ऐ बचपन तू एक बार लौट के आजा।

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